भारत-यूके 468 मिलियन डॉलर मिसाइल डील 2025: यूके पीएम की यात्रा से बढ़ेगा रक्षा सहयोग

By Gaurav Srivastava

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नमस्कार! बहराइच न्यूज़ केऑटोमोबाइल सेक्शन में आपका स्वागत है। हालांकि आज हम सीधे किसी स्मार्टफोन की बात नहीं कर रहे हैं, पर टेक्नोलॉजी और सामरिक महत्व की यह खबर किसी भी नई लॉन्चिंग से कम महत्वपूर्ण नहीं है। भारत और ब्रिटेन के बीच हुए एक बड़े रक्षा सहयोग समझौते ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर दोनों देशों के रिश्तों को नई मजबूती दी है। यह समझौता भारत की सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में एक मील का पत्थर साबित होगा। इस आर्टिकल में हम भारत यूके मिसाइल समझौता, LMM मिसाइल भारत को कैसे फायदा पहुंचाएगी और यूके पीएम की भारत यात्रा 2025 के दौरान हुए अन्य अहम फैसलों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

मुख्य बिंदु विवरण
डील का कुल मूल्य $468 मिलियन (£350 मिलियन)
मिसाइल का प्रकार लाइटवेट मल्टीरोल मिसाइल (LMM मिसाइल भारत के लिए)
निर्माता कंपनी थेल्स (Thales), बेलफास्ट, उत्तरी आयरलैंड
मुख्य उद्देश्य भारत की हवाई रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना
मिसाइल की खासियत ड्रोन, हेलीकॉप्टर और हल्के विमान जैसे कम ऊंचाई पर उड़ने वाले तेज लक्ष्यों के खिलाफ प्रभावी।
यूके में रोजगार बेलफास्ट फैक्ट्री में लगभग 700 नौकरियों की सुरक्षा
अन्य सहयोग भारतीय नौसेना के लिए इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम का विकास (£250 मिलियन)
प्रधानमंत्री की यात्रा यूके पीएम की भारत यात्रा 2025 के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर
सामरिक महत्व भारत-ब्रिटेन के बीच गहरे रक्षा सहयोग भारत ब्रिटेन संबंधों का संकेत

हाल ही में हुई यूके पीएम की भारत यात्रा 2025 के दौरान, दोनों देशों ने एक ऐतिहासिक रक्षा सहयोग भारत ब्रिटेन समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत ब्रिटेन भारत को $468 मिलियन मूल्य की अत्याधुनिक मल्टीरोल मिसाइल प्रणालियां प्रदान करेगा। यह डील सिर्फ हथियारों की खरीद-फरोख्त नहीं है, बल्कि यह भारत की हवाई रक्षा क्षमता को मजबूत करने और दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी को गहरा करने का प्रतीक है। विशेष रूप से, यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है और भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार उन्नत करने पर जोर दे रहा है। यह भारत यूके मिसाइल समझौता कई मायनों में महत्वपूर्ण है, जो न केवल रक्षा उद्योग को बढ़ावा देगा बल्कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को भी नई ऊंचाई देगा।

भारत-यूके 468 मिलियन डॉलर मिसाइल डील का विस्तृत अवलोकन

यह महत्वपूर्ण समझौता $468 मिलियन (£350 मिलियन) का है, जिसके तहत यूनाइटेड किंगडम भारत को लाइटवेट मल्टीरोल मिसाइल (LMM) सिस्टम की आपूर्ति करेगा। इन मिसाइलों का निर्माण उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट स्थित थेल्स (Thales) कंपनी द्वारा किया जाता है। यह डील भारत की रक्षा रणनीति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर ऐसे समय में जब हवाई खतरों का स्वरूप बदल रहा है और उनमें ड्रोन व अन्य हल्के विमान शामिल हो रहे हैं। इस समझौते पर यूके पीएम की भारत यात्रा 2025 के दौरान मुहर लगी, जिससे स्पष्ट होता है कि दोनों देश एक दूसरे के साथ गहरे सामरिक संबंध बनाने के इच्छुक हैं।

यह डील न केवल भारत की हवाई रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगी बल्कि ब्रिटेन के रक्षा उद्योग के लिए भी एक बड़ा प्रोत्साहन है। बेलफास्ट फैक्ट्री में लगभग 700 नौकरियों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, जिससे ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। यूनाइटेड किंगडम के रक्षा सचिव जॉन हीली ने इस डील को “ब्रिटिश रक्षा उद्योग को विकास का इंजन बनाने” में सहायक बताया है। यह दर्शाता है कि यूके भारत को एक महत्वपूर्ण रक्षा भागीदार के रूप में देखता है। 2025 की चैथम हाउस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशक में भारत के कुल रक्षा आयात में ब्रिटेन की हिस्सेदारी लगभग 3% रही है, जो इस डील के बाद बढ़ने की उम्मीद है। यह समझौता 2021 के यूके-भारत नीति रोडमैप के अनुरूप है, जिसमें रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर विशेष जोर दिया गया था। इस प्रकार, यह भारत यूके मिसाइल समझौता दोनों देशों के लिए जीत की स्थिति पैदा करता है।

LMM मिसाइल प्रणाली की प्रमुख खासियतें

लाइटवेट मल्टीरोल मिसाइल (LMM) एक अत्याधुनिक, हल्के वजन वाली हवाई रक्षा मिसाइल है जो भारत की हवाई रक्षा क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी। इसे विशेष रूप से तेजी से आगे बढ़ने वाले, कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों जैसे ड्रोन, हेलीकॉप्टर और हल्के विमानों के खिलाफ प्रभावी होने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आज के युद्ध परिदृश्य में, ड्रोन और छोटे विमानों का खतरा लगातार बढ़ रहा है, और ऐसी परिस्थितियों में LMM मिसाइल भारत के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। उदाहरण के लिए, सीमा पार से होने वाले ड्रोन हमलों या सैन्य ठिकानों के आसपास संदिग्ध हवाई गतिविधियों को रोकने में यह मिसाइल बेहद कारगर होगी।

थेल्स, जो इन मिसाइलों का उत्पादन करती है, यूके सैन्य बलों और यूक्रेन सहित सहयोगी देशों को भी इसकी आपूर्ति करती रही है। यह मिसाइल प्रणाली अपनी सटीकता और बहुमुखी प्रतिभा के लिए जानी जाती है, जिससे यह विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों से निपटने में सक्षम है। भारत को मिसाइलों और लॉन्चरों की डिलीवरी एक नियोजित चरणबद्ध तरीके से की जाएगी ताकि भारत की जमीनी और हवाई रक्षा संपत्तियों को तत्काल बढ़ाया जा सके। यह सौदा भारत को एक मजबूत और आधुनिक हवाई रक्षा कवच प्रदान करेगा, जिससे देश की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। भारतीय सेना के लिए यह एक महत्वपूर्ण अधिग्रहण है जो उसे भविष्य के खतरों से निपटने में सक्षम बनाएगा।

व्यापक रक्षा सहयोग के अन्य पहलू

भारत यूके मिसाइल समझौता सिर्फ मिसाइल खरीदने तक ही सीमित नहीं है; यह एक व्यापक रक्षा सहयोग भारत ब्रिटेन की नींव रखता है। मिसाइल अनुबंध के साथ-साथ, भारत और यूके ने भारतीय नौसेना के जहाजों के लिए इलेक्ट्रिक-पावर्ड प्रोपल्शन सिस्टम विकसित करने के लिए एक कार्यान्वयन व्यवस्था पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इस डील का प्रारंभिक मूल्य £250 मिलियन ($333 मिलियन) है। यह सहयोग भारत के नौसैनिक प्लेटफार्मों को उन्नत प्रोपल्शन तकनीकों के साथ आधुनिक बनाने का लक्ष्य रखता है, जिससे भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमता में सुधार होगा। यह दर्शाता है कि दोनों देश केवल तैयार उत्पाद खरीदने-बेचने के बजाय, आधुनिक तकनीकों के सह-विकास और साझाकरण पर भी जोर दे रहे हैं। जैसे, एक उन्नत इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम जहाजों को शांत, अधिक कुशल और शक्तिशाली बना सकता है, जो आधुनिक नौसैनिक युद्ध में महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूके पीएम की भारत यात्रा 2025 पर आए कीर स्टारमर के बीच हुई बातचीत के दौरान, दोनों नेताओं ने आतंकवाद-रोधी और सुरक्षा सहयोग पर भी विशेष ध्यान दिया। उन्होंने निम्नलिखित क्षेत्रों में संयुक्त प्रयासों पर सहमति व्यक्त की है:

  • कट्टरपंथ और हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करना
  • आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाना
  • सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करना
  • आतंकवाद के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग को रोकना

यह विस्तारवादी साझेदारी पारंपरिक रक्षा से आगे बढ़कर सुरक्षा और खुफिया सहयोग में भी दोनों देशों के बीच मजबूत बंधन को दर्शाती है। यह सहयोग क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इस प्रकार, यह यात्रा केवल हथियारों की डील तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह भारत-ब्रिटेन संबंधों के multifaceted आयामों को उजागर करती है।

नवीनतम घटनाक्रम और आधिकारिक बयान

यूके पीएम की भारत यात्रा 2025 के दौरान हुए इन महत्वपूर्ण समझौतों के बाद, दोनों देशों के नेताओं और अधिकारियों ने अपने विचारों और उम्मीदों को साझा किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और यूके के बीच बढ़ते बहुआयामी संबंधों पर प्रकाश डाला, जिसमें रक्षा, शिक्षा और नवाचार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने जोर दिया कि यह साझेदारी न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और ब्रिटेन के संबंध सिर्फ व्यापारिक नहीं हैं, बल्कि ये साझा मूल्यों और भविष्य की साझा दृष्टि पर आधारित हैं।

यूके के रक्षा राज्य सचिव जॉन हीली ने इस भारत यूके मिसाइल समझौता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह “ब्रिटेन के रक्षा उद्योग को विकास का इंजन बनाने” में मदद करता है। उनके बयान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ब्रिटिश सरकार भारत के साथ गहरे रक्षा संबंधों को कितना महत्व देती है। यह डील ब्रिटिश रक्षा उद्योग के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है और यह सुनिश्चित करती है कि यूके वैश्विक रक्षा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बना रहे। LMM मिसाइलों और लॉन्चरों की भारत को डिलीवरी एक नियोजित चरणबद्ध तरीके से की जाएगी ताकि भारत की जमीनी और हवाई रक्षा संपत्तियों को तत्काल बढ़ाया जा सके। यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय सेना को जल्द से जल्द आवश्यक उपकरण मिलें और वे अपनी रक्षा क्षमताओं को प्रभावी ढंग से बढ़ा सकें।

भविष्य की दिशा और भू-राजनीतिक निहितार्थ

यह भारत यूके मिसाइल समझौता एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और इससे भविष्य में भारत यूके मिसाइल समझौता के तहत और भी जटिल हथियार प्रणालियों तथा रक्षा प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण और संयुक्त विकास के द्वार खुलने की उम्मीद है। इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम पर ध्यान केंद्रित करना आधुनिक, ऊर्जा-कुशल नौसैनिक प्लेटफार्मों की ओर एक बदलाव का सुझाव देता है, जो वैश्विक नौसेना आधुनिकीकरण के रुझानों को दर्शाता है। भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक है और अपने आपूर्तिकर्ताओं के विविधीकरण (जिसमें “मेक इन इंडिया” नीति भी शामिल है) के लिए अपनी नीतिगत पहल के कारण, यूके जैसे विदेशी खिलाड़ी दीर्घकालिक आपूर्ति और सह-विकास संबंध स्थापित करने के इच्छुक हैं। यह दीर्घकालिक दृष्टिकोण न केवल भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगा बल्कि ब्रिटेन के लिए भी एक स्थिर और महत्वपूर्ण बाजार सुनिश्चित करेगा। अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से, यह डील हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विकसित हो रही क्षेत्रीय सुरक्षा गतिशीलता के साथ-साथ आतंकवाद और क्षेत्रीय अस्थिरता से बढ़ते खतरों का मुकाबला करने के लिए भारत के लिए व्यापक पश्चिमी समर्थन के अनुरूप है। यह भारत को क्षेत्र में एक मजबूत और विश्वसनीय सुरक्षा भागीदार के रूप में स्थापित करता है। उदाहरण के लिए, जैसे चीन की बढ़ती मुखरता के जवाब में, भारत जैसे देशों को अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की आवश्यकता है, और ब्रिटेन जैसे भागीदारों से समर्थन महत्वपूर्ण हो जाता है। यह डील न केवल भारत की सैन्य ताकत को बढ़ाती है, बल्कि यह क्षेत्र में शक्ति संतुलन को भी प्रभावित कर सकती है। यह रक्षा सहयोग भारत ब्रिटेन के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत है, जहां दोनों देश साझा सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए मिलकर काम करेंगे। आप बहराइच न्यूज़ के रक्षा समाचार खंड में ऐसी और भी खबरें पा सकते हैं।

यह समझौता एक संकेत है कि भारत अपने रक्षा संबंधों को विविध बना रहा है और केवल एक या दो देशों पर निर्भर रहने के बजाय कई वैश्विक शक्तियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। यह भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को भी मजबूत करता है। इस तरह के सौदे भारत को केवल खरीदार नहीं, बल्कि एक भागीदार बनाते हैं, जो सह-विकास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से अपनी घरेलू रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने पर केंद्रित है।

डील के फायदे और नुकसान

फायदे (Pros) नुकसान (Cons)
उच्च रक्षा क्षमता: LMM मिसाइलें भारत की हवाई रक्षा क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएंगी, विशेषकर ड्रोन और हल्के विमानों के खिलाफ। विदेशी निर्भरता: अभी भी महत्वपूर्ण रक्षा प्रणालियों के लिए विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता बनी हुई है।
द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती: रक्षा सहयोग भारत ब्रिटेन साझेदारी को गहरा करता है और सामरिक महत्व को बढ़ाता है। दीर्घकालिक रखरखाव: आयातित प्रणालियों का दीर्घकालिक रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता एक चुनौती हो सकती है।
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की संभावना: इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन जैसी नई तकनीकों के सह-विकास से भविष्य में लाभ। लागत: $468 मिलियन का बड़ा निवेश, हालांकि यह रक्षा जरूरतों के लिए आवश्यक है।
आर्थिक लाभ: यूके में 700 नौकरियों की सुरक्षा और ब्रिटिश रक्षा उद्योग को बढ़ावा। आपूर्ति में देरी: चरणबद्ध डिलीवरी का मतलब है कि पूर्ण क्षमता तक पहुंचने में समय लगेगा।
आत्मनिर्भरता की दिशा: यह समझौता ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत भविष्य के संयुक्त विकास के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है। अज्ञात विवरण: समझौते के कुछ बारीक विवरण अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, जिससे संभावित जटिलताएं हो सकती हैं।

पूरा रिव्यू देखें

इस महत्वपूर्ण समझौते और यूके पीएम की भारत यात्रा 2025 के मुख्य आकर्षणों को समझने के लिए, आप नीचे दिया गया वीडियो देख सकते हैं। इसमें रक्षा सौदों और रणनीतिक वार्ताओं पर विस्तृत जानकारी शामिल है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: भारत यूके मिसाइल समझौता क्या है और इसकी कुल कीमत कितनी है?
यह भारत यूके मिसाइल समझौता भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच हुआ एक रक्षा सौदा है, जिसके तहत ब्रिटेन भारत को लाइटवेट मल्टीरोल मिसाइल (LMM) सिस्टम की आपूर्ति करेगा। इस डील की कुल कीमत $468 मिलियन (£350 मिलियन) है। यह समझौता भारत की हवाई रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया है, खासकर ड्रोन और हल्के विमान जैसे खतरों के खिलाफ। यह दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग भारत ब्रिटेन का प्रतीक है।

प्रश्न 2: LMM मिसाइल भारत की रक्षा में कैसे सहायक होगी?
LMM मिसाइल भारत की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी क्योंकि इसे हल्के वजन वाला और बहुउद्देश्यीय हवाई रक्षा प्रणाली के रूप में डिजाइन किया गया है। यह तेजी से उड़ने वाले, कम ऊंचाई वाले लक्ष्यों, जैसे ड्रोन, हेलीकॉप्टर और हल्के विमानों को सटीकता से निशाना बना सकती है। आज के बदलते सुरक्षा परिदृश्य में, यह मिसाइल भारत को आधुनिक हवाई खतरों से निपटने और उसकी जमीनी व हवाई रक्षा संपत्तियों को प्रभावी ढंग से सुरक्षित रखने में मदद करेगी।

प्रश्न 3: यूके पीएम की भारत यात्रा 2025 के दौरान कौन से अन्य महत्वपूर्ण समझौते हुए?
यूके पीएम की भारत यात्रा 2025 के दौरान मिसाइल डील के अलावा, भारत और यूके ने भारतीय नौसेना के जहाजों के लिए इलेक्ट्रिक-पावर्ड प्रोपल्शन सिस्टम विकसित करने पर भी सहमति जताई, जिसकी प्रारंभिक कीमत £250 मिलियन है। इसके अतिरिक्त, दोनों देशों ने कट्टरपंथ, आतंकवाद के वित्तपोषण और साइबर आतंकवाद जैसे मुद्दों पर भी व्यापक सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया। यह यात्रा रक्षा सहयोग भारत ब्रिटेन के विभिन्न पहलुओं को मजबूत करती है।

प्रश्न 4: इस डील से ब्रिटेन के लिए क्या फायदे हैं?
इस भारत यूके मिसाइल समझौता से ब्रिटेन को कई फायदे हैं। सबसे पहले, यह थेल्स की बेलफास्ट फैक्ट्री में लगभग 700 नौकरियों को सुरक्षित करता है, जो ब्रिटिश अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण बढ़ावा है। दूसरे, यह ब्रिटिश रक्षा उद्योग को वैश्विक बाजार में एक मजबूत स्थिति में रखता है और उसे “विकास का इंजन” बनाता है। तीसरा, यह भारत के साथ गहरे रक्षा सहयोग भारत ब्रिटेन संबंधों को मजबूत करता है, जो भविष्य के सामरिक साझेदारियों के लिए महत्वपूर्ण है।

Gaurav Srivastava

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