नमस्कार! बहराइच न्यूज़ के वित्तीय विश्लेषण सेक्शन में आपका स्वागत है। आज हम 1 अक्टूबर 2025 के शेयर बाजार के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों पर एक विस्तृत नज़र डालेंगे। यह दिन भारतीय वित्तीय बाजारों के लिए बेहद अहम साबित हुआ, क्योंकि 8 दिन की लगातार गिरावट के बाद सेंसेक्स और निफ्टी में जोरदार वापसी देखने को मिली। निवेशकों के मन में यह सवाल था कि आखिर बाजार में यह तेजी क्यों आई और इसके पीछे क्या मुख्य कारण थे। इस रिपोर्ट में हम इन सभी पहलुओं पर गहन चर्चा करेंगे, जिसमें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय और वैश्विक संकेतों का शेयर बाजार पर पड़ा असर भी शामिल है।
वित्तीय बाजारों को समझना किसी भी जागरूक नागरिक के लिए महत्वपूर्ण है। खासकर जब देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े बड़े फैसले लिए जाते हैं, जैसे कि RBI की मौद्रिक नीति। ये फैसले सीधे तौर पर आपकी बचत, आपके निवेश और आपकी दैनिक वित्तीय गतिविधियों को प्रभावित करते हैं। इसलिए, आज की रिपोर्ट केवल आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था की नब्ज को समझने का एक प्रयास है। हम आपको बताएंगे कि कैसे एक दिन में बाजार की दिशा बदल सकती है और किन कारकों पर निवेशकों को ध्यान देना चाहिए।
मार्केट का एक त्वरित अवलोकन (Quick Market Overview) – 1 अक्टूबर 2025
1 अक्टूबर 2025 को शेयर बाजार में हुई हलचल को समझने के लिए, यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं का सारांश दिया गया है। यह डेटा आपको दिन भर के प्रमुख उतार-चढ़ाव और निर्णायक कारकों की एक स्पष्ट तस्वीर देगा। यह समझने में मदद करेगा कि क्यों यह दिन बाजार के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ, खासकर 8 दिनों की लगातार गिरावट के बाद।
| मुख्य मेट्रिक | 1 अक्टूबर 2025 का मूल्य/स्थिति | बदलाव/टिप्पणियाँ |
|---|---|---|
| S&P BSE सेंसेक्स | 38,697 अंक | +629 अंक (+1.65%) की बढ़त |
| निफ्टी 50 | 11,400 अंक के ऊपर बंद हुआ | लगभग +2.73% की बढ़त, प्रतिरोध स्तर को पार किया |
| बाजार की अस्थिरता (VIX) | लगभग 18 | 6% से अधिक की गिरावट, बाजार में अनिश्चितता घटी |
| इंडसइंड बैंक शेयर | +12.5% की उछाल | बैंकिंग सेक्टर का नेतृत्व किया |
| RBI रेपो रेट | 5.5% पर स्थिर रखा गया | RBI द्वारा कायम रखा गया |
| FII शुद्ध बहिर्प्रवाह (30 सितंबर) | ₹2,327 करोड़ | विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी |
| DII शुद्ध अंतर्प्रवाह (30 सितंबर) | ₹5,762 करोड़ | घरेलू निवेशकों का महत्वपूर्ण समर्थन |
| बैंकिंग इंडेक्स में उछाल | लगभग 0.44% (अक्टूबर की शुरुआत में) | वित्तीय क्षेत्र के लिए सकारात्मक शुरुआत |
अक्टूबर 2025 में शेयर बाजार की मुख्य बातें: गिरावट के बाद वापसी
1 अक्टूबर 2025 को भारतीय शेयर बाजार में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला। पिछले आठ दिनों की लगातार गिरावट के बाद, सेंसेक्स और निफ्टी दोनों प्रमुख सूचकांकों ने जोरदार वापसी की। यह वापसी निवेशकों के लिए राहत भरी खबर थी और बाजार में नई उम्मीदें जगाई। इस दिन की शुरुआत ही सकारात्मक नोट पर हुई और पूरे सत्र में तेजी बनी रही, जिससे बाजार में एक मजबूत बुलिश मोमेंटम का संकेत मिला।
सेंसेक्स ने इस दिन 629 अंकों की शानदार बढ़त दर्ज की, जो इसे 38,697 अंक पर बंद करने में मदद करती है। यह पिछले बंद के मुकाबले 1.65% की वृद्धि थी, जो बाजार की ताकत को दर्शाती है। वहीं, निफ्टी 50 इंडेक्स ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। इसने 11,400 के महत्वपूर्ण प्रतिरोध स्तर को पार कर लिया और इसके ऊपर बंद होने में सफल रहा। निफ्टी में लगभग 2.73% की कुल बढ़त दर्ज की गई, जो व्यापक बाजार में उत्साह और खरीददारी के मजबूत संकेत देती है। यह एक तकनीकी संकेत भी है कि बाजार में अब गिरावट थम गई है और तेजी की नई शुरुआत हो सकती है।
इस बीच, बाजार की अस्थिरता को मापने वाला इंडेक्स, VIX (Volatility Index) में भी 6% से अधिक की गिरावट आई। यह लगभग 18 के स्तर पर स्थिर हुआ, जो बाजार में अनिश्चितता कम होने और निवेशकों के बीच विश्वास बढ़ने का संकेत है। जब VIX गिरता है, तो इसका मतलब है कि निवेशक भविष्य के बारे में कम चिंतित हैं और बाजार में कम उतार-चढ़ाव की उम्मीद कर रहे हैं। यह स्थिति अक्सर बुल मार्केट के लिए अनुकूल मानी जाती है। कुल मिलाकर, सेंसेक्स निफ्टी अक्टूबर 2025 की शुरुआत ने निवेशकों को एक सकारात्मक संदेश दिया कि बाजार में फिर से तेजी का दौर शुरू हो सकता है।
बाजार में तेजी के प्रमुख कारण: RBI की नीति और वैश्विक संकेत
1 अक्टूबर 2025 को शेयर बाजार में हुई जोरदार वापसी के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक थे, जिनमें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का मौद्रिक नीति संबंधी निर्णय और वैश्विक बाजारों से मिले सकारात्मक संकेत प्रमुख थे। इन कारकों ने मिलकर निवेशकों की धारणा को मजबूत किया और बाजार को 8 दिन की गिरावट से उबारने में मदद की।
RBI मौद्रिक नीति का निर्णय: रेपो रेट में स्थिरता का असर
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखने का निर्णय लिया। यह घोषणा बाजार के लिए एक बड़ी राहत थी। रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है। जब RBI रेपो रेट में बदलाव नहीं करता, तो इसका मतलब है कि वह अर्थव्यवस्था में तरलता और ऋण दरों को स्थिर रखना चाहता है। निवेशकों ने इस निर्णय को एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा। इसका मतलब यह है कि RBI का मानना है कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में है और उसे आक्रामक रूप से दरों में वृद्धि करने की आवश्यकता नहीं है।
इस स्थिरता से बैंकों को अपने ग्राहकों को दिए जाने वाले ऋण की दरों में स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलती है, जिससे कंपनियों और व्यक्तियों के लिए ऋण लेना सस्ता रहता है। इससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है और कंपनियों की आय में वृद्धि की उम्मीद बढ़ती है। जैसे ही यह खबर आई, बैंकिंग और वित्तीय शेयरों में तेजी देखने को मिली, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि स्थिर ब्याज दरें उनके मुनाफे को प्रभावित नहीं करेंगी और ऋण की मांग बनी रहेगी। RBI रेपो रेट का असर सीधे तौर पर बैंकों के मार्जिन और उनकी ऋण देने की क्षमता पर पड़ता है, जो अंततः पूरे शेयर बाजार को प्रभावित करता है। इससे निवेशकों का विश्वास मजबूत हुआ कि अर्थव्यवस्था को स्थिर और नियंत्रित माहौल में बढ़ने का मौका मिलेगा।
सेक्टोरल प्रदर्शन: बैंकिंग और ऑटो स्टॉक्स का जलवा
बाजार में आई इस तेजी में विभिन्न क्षेत्रों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें बैंकिंग और वित्तीय शेयरों ने सबसे आगे रहकर नेतृत्व किया। यह क्षेत्र सीधे तौर पर RBI रेपो रेट के फैसलों से प्रभावित होता है। इंडसइंड बैंक के शेयरों में प्रभावशाली 12.5% की उछाल देखने को मिली, जिसने दिन भर के दौरान बैंकिंग सेक्टर के उत्साह को बढ़ाया। स्थिर रेपो रेट का मतलब था कि बैंकों को अपनी उधार दरों में कोई बदलाव नहीं करना होगा, जिससे उनके मार्जिन पर कोई अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ेगा। यह स्थिति उनके ऋण कारोबार के लिए अनुकूल मानी जाती है।
बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के अलावा, ऑटोमोबाइल स्टॉक्स ने भी बाजार को ऊपर उठाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उपभोक्ता खर्च में सुधार की उम्मीद और त्योहारी सीजन से पहले वाहनों की बढ़ती मांग ने इस सेक्टर को मजबूती दी। निवेशकों ने उम्मीद की कि आगामी महीनों में बिक्री में वृद्धि होगी, जिससे ऑटो कंपनियों के लाभ में भी इजाफा होगा। हालांकि, सभी सेक्टरों में समान रूप से तेजी नहीं दिखी। ITC, NTPC, रिलायंस, टाइटन और ONGC जैसे कुछ प्रमुख शेयरों में मामूली गिरावट दर्ज की गई, लेकिन बाजार की समग्र सकारात्मक धारणा को ये गिरावटें ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाईं। इससे पता चलता है कि बाजार में एक चुनिंदा तेजी देखने को मिली, जो विशेष रूप से उन क्षेत्रों पर केंद्रित थी जो RBI की नीति से सबसे अधिक लाभान्वित हुए थे।
संस्थागत निवेशकों की भूमिका: FII और DII के आंकड़े
किसी भी शेयर बाजार की दिशा तय करने में संस्थागत निवेशकों, यानी विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। 1 अक्टूबर 2025 को बाजार में तेजी के पीछे DII का मजबूत समर्थन एक प्रमुख कारण था। 30 सितंबर को, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजार से शुद्ध रूप से ₹2,327 करोड़ की निकासी की। FII द्वारा लगातार बिकवाली भारतीय बाजारों के लिए चिंता का विषय रही है, क्योंकि वे अक्सर वैश्विक संकेतों और अपनी आंतरिक रणनीतियों के आधार पर निवेश करते हैं।
हालांकि, इस विदेशी बिकवाली के प्रभाव को घरेलू संस्थागत निवेशकों ने कुशलता से संतुलित किया। DII ने 30 सितंबर को ₹5,762 करोड़ का शुद्ध निवेश किया, जो बाजार को आवश्यक समर्थन प्रदान करने के लिए पर्याप्त था। DII में मुख्यतः भारतीय म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां और पेंशन फंड शामिल होते हैं। उनका निवेश अक्सर लंबी अवधि के दृष्टिकोण और घरेलू आर्थिक स्थितियों के आधार पर होता है। DII की यह मजबूत खरीददारी भारतीय शेयर बाजार की लचीलेपन को दर्शाती है। यह दिखाता है कि जब विदेशी निवेशक मुनाफावसूली करते हैं या वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण पीछे हटते हैं, तो घरेलू निवेशक बाजार में विश्वास बनाए रखते हुए खरीदारी करते हैं। यह घरेलू समर्थन बाजार को एक मजबूत नींव प्रदान करता है और उसे बड़ी गिरावट से बचाता है, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी में आई मौजूदा उछाल को मजबूती मिली।
वैश्विक संकेत और धारणा
भारतीय शेयर बाजार पर अक्सर वैश्विक बाजारों का गहरा असर होता है। 1 अक्टूबर 2025 को, वैश्विक बाजारों से मिले मिश्रित, लेकिन कुल मिलाकर सकारात्मक संकेतों ने भारतीय बाजार की तेजी को समर्थन दिया। अमेरिकी बाजार में पिछले दिन अच्छी बढ़त दर्ज की गई थी, जिसमें S&P 500 इंडेक्स 0.40% और Nasdaq इंडेक्स 0.32% ऊपर बंद हुए थे। अमेरिकी बाजारों में यह सकारात्मक रुझान आमतौर पर वैश्विक निवेशकों की धारणा को बढ़ावा देता है, क्योंकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
एशियाई बाजारों में स्थिति थोड़ी मिश्रित रही। जापान का निक्केई इंडेक्स 1.04% नीचे आया, जो कुछ एशियाई बाजारों में चिंता का संकेत दे रहा था। हालांकि, हांगकांग का हैंग सेंग और शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में बढ़त देखी गई। चीन और हांगकांग के बाजारों में सकारात्मकता ने एशियाई क्षेत्र से एक संतुलित दृष्टिकोण प्रदान किया। इन मिश्रित वैश्विक संकेतों के बावजूद, समग्र वैश्विक धारणा सतर्क रूप से आशावादी थी, जिसने भारतीय शेयर बाजार को ऊपर जाने के लिए आवश्यक धक्का दिया। विशेष रूप से, अमेरिकी बाजार की मजबूती ने निवेशकों को आश्वस्त किया कि वैश्विक आर्थिक विकास की संभावनाएं अभी भी मजबूत हैं, जिससे इक्विटी बाजारों में निवेश जारी रखने का प्रोत्साहन मिला।
1 अक्टूबर 2025 के आंकड़े एक नज़र में
बाजार की स्थिति को और अधिक स्पष्टता से समझने के लिए, यहां 1 अक्टूबर 2025 के कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े दिए गए हैं। ये आंकड़े दिन भर की गतिविधियों और प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हैं, जो निवेशकों को बाजार के रुझान को समझने में मदद करते हैं।
| मेट्रिक | मूल्य (1 अक्टूबर 2025) | बदलाव/नोट्स |
|---|---|---|
| S&P BSE सेंसेक्स | 38,697 अंक | +629 अंक (+1.65%) |
| निफ्टी 50 | 11,400 अंक के ऊपर | प्रतिरोध के ऊपर बंद हुआ |
| बाजार अस्थिरता (VIX) | लगभग 18 | 6% की गिरावट |
| इंडसइंड बैंक शेयर | +12.5% | प्रमुख बैंकिंग बढ़त |
| RBI रेपो रेट | 5.5% (स्थिर रखा गया) | RBI द्वारा कायम रखा गया |
| FII शुद्ध बहिर्प्रवाह (30 सितंबर) | ₹2,327 करोड़ | विदेशी बिकवाली जारी रही |
| DII शुद्ध अंतर्प्रवाह (30 सितंबर) | ₹5,762 करोड़ | घरेलू खरीद ने समर्थन दिया |
| बैंकिंग इंडेक्स में बढ़त | लगभग 0.44% (अक्टूबर की शुरुआत) | वित्त के लिए सकारात्मक शुरुआत |
बाजार का आउटलुक: आगे क्या?
1 अक्टूबर 2025 को शेयर बाजार में आई तेजी ने निवेशकों के बीच आशा का संचार किया है। अब महत्वपूर्ण यह देखना है कि यह तेजी कितनी टिकाऊ रहेगी और भविष्य में बाजार किस दिशा में आगे बढ़ेगा। बाजार के आउटलुक को लघु-अवधि और मध्यम से दीर्घ-अवधि के परिप्रेक्ष्य में समझना आवश्यक है, ताकि निवेशक अपनी रणनीतियों को तदनुसार समायोजित कर सकें।
लघु-अवधि का दृष्टिकोण
लघु-अवधि में, भारतीय शेयर बाजार के लिए सकारात्मक गति जारी रहने की उम्मीद है। निफ्टी का 11,400 जैसे महत्वपूर्ण तकनीकी प्रतिरोध स्तर को पार करना एक मजबूत बुलिश संकेत है। यह बताता है कि बाजार में खरीददारों का दबदबा बढ़ रहा है। बाजार की अस्थिरता (VIX) में गिरावट भी एक स्पष्ट बाजार दिशा का सुझाव देती है, जिसका अर्थ है कि निवेशक अब कम चिंतित हैं और अधिक आत्मविश्वास के साथ व्यापार कर रहे हैं। बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र, जिन्होंने हाल ही में शानदार प्रदर्शन किया है, बाजार के प्रमुख सूचक बने रहेंगे। यदि ये क्षेत्र अपनी तेजी बनाए रखते हैं, तो समग्र बाजार को और ऊपर खींच सकते हैं। आगामी दिनों में, निवेशकों को किसी भी नए आर्थिक आंकड़ों, कॉर्पोरेट आय रिपोर्टों और वैश्विक घटनाओं पर कड़ी नजर रखनी होगी, क्योंकि ये बाजार की लघु-अवधि की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं।
मध्यम से दीर्घ-अवधि का दृष्टिकोण
मध्यम से दीर्घ-अवधि में, भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति में स्थिरता इक्विटी वैल्यूएशन का समर्थन जारी रखने की उम्मीद है। RBI रेपो रेट का 5.5% पर स्थिर रहना कंपनियों के लिए ऋण लागत को प्रबंधनीय बनाए रखेगा, जिससे उनके विस्तार योजनाओं और मुनाफे को बल मिलेगा। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा लगातार बहिर्प्रवाह के बावजूद, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) का निरंतर मजबूत निवेश बाजार को एक आवश्यक तकिया प्रदान कर रहा है। यह घरेलू आत्मविश्वास भारतीय अर्थव्यवस्था की अंतर्निहित ताकत को दर्शाता है। हालांकि, वैश्विक आर्थिक परिस्थितियाँ और अमेरिकी बाजार के रुझान प्रमुख प्रभावशाली चर बने रहेंगे। कच्चे तेल की कीमतें, भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक विकास दर जैसे कारक भारतीय बाजार के मध्यम से दीर्घ-अवधि के प्रक्षेपवक्र को आकार देंगे। निवेशकों को एक संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए और दीर्घकालिक निवेश लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
फायदे और नुकसान (Pros & Cons) – बाजार की स्थिति का विश्लेषण
1 अक्टूबर 2025 को शेयर बाजार में जो बदलाव आए, उनके कुछ स्पष्ट फायदे और संभावित नुकसान भी हैं। इन दोनों पहलुओं को समझना निवेशकों के लिए अपनी रणनीति बनाने में महत्वपूर्ण है।
| फायदे (Pros) | नुकसान (Cons) |
|---|---|
| RBI की नीति में स्थिरता: रेपो रेट 5.5% पर स्थिर रहने से बाजार को राहत मिली और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिला। | FII बहिर्प्रवाह: विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा लगातार बिकवाली बाजार में अस्थिरता का कारण बन सकती है। |
| घरेलू संस्थागत समर्थन: DII द्वारा भारी खरीददारी ने बाजार को महत्वपूर्ण समर्थन दिया और गिरावट को रोका। | वैश्विक अनिश्चितताएं: वैश्विक आर्थिक मंदी, भू-राजनीतिक तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव बाजार के लिए जोखिम बने हुए हैं। |
| तकनीकी मजबूती: निफ्टी का 11,400 के प्रतिरोध स्तर को पार करना तकनीकी रूप से एक मजबूत बुलिश संकेत है। | कुछ सेक्टरों में गिरावट: ITC, रिलायंस जैसे कुछ बड़े शेयरों में मामूली गिरावट देखी गई, जो दर्शाता है कि सभी क्षेत्रों में एक समान तेजी नहीं है। |
| अस्थिरता में कमी: VIX में 6% से अधिक की गिरावट ने बाजार में अनिश्चितता को कम किया और निवेशकों का विश्वास बढ़ाया। | पूंजी के प्रवाह पर निर्भरता: बाजार की निरंतर तेजी घरेलू और विदेशी पूंजी के लगातार प्रवाह पर बहुत अधिक निर्भर करती है। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1: 1 अक्टूबर 2025 को शेयर बाजार में इतनी बड़ी तेजी क्यों आई?
A1: 1 अक्टूबर 2025 को शेयर बाजार में तेजी के मुख्य कारण RBI द्वारा रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखना और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) द्वारा मजबूत खरीददारी थे। RBI की नीति ने मुद्रास्फीति नियंत्रण और आर्थिक स्थिरता का भरोसा दिलाया, जबकि DII के निवेश ने विदेशी बिकवाली के प्रभाव को संतुलित किया, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी में भारी उछाल आया।
Q2: RBI रेपो रेट को स्थिर रखने से शेयर बाजार पर क्या असर पड़ता है?
A2: जब RBI रेपो रेट को स्थिर रखता है, तो इसका मतलब है कि बैंकों के लिए ऋण की लागत में कोई बदलाव नहीं होता। इससे कंपनियों और व्यक्तियों के लिए ऋण दरें स्थिर रहती हैं, जो आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देती हैं। इससे कंपनियों की आय बढ़ने की उम्मीद होती है और निवेशक इक्विटी में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं, जिससे शेयर बाजार में सकारात्मक असर दिखाई देता है।
Q3: सेंसेक्स और निफ्टी की 8 दिन की गिरावट से वापसी का क्या महत्व है?
A3: सेंसेक्स और निफ्टी की 8 दिन की लगातार गिरावट के बाद वापसी का मतलब है कि बाजार में नकारात्मक धारणा टूट गई है और अब सकारात्मक रुझान बनने की संभावना है। यह निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीकी संकेत है कि बाजार ने अपना निचला स्तर बना लिया है और अब ऊपर की ओर गति पकड़ सकता है, जिससे बाजार में नया विश्वास पैदा हुआ है।
Q4: घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?
A4: घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की भूमिका इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली को संतुलित करते हैं। 30 सितंबर को FII ने ₹2,327 करोड़ की निकासी की, लेकिन DII ने ₹5,762 करोड़ का निवेश करके बाजार को सहारा दिया। यह घरेलू समर्थन भारतीय बाजार को स्थिरता प्रदान करता है और उसे बाहरी झटकों से बचाता है, जिससे शेयर बाजार मजबूत रहता है।
Q5: अक्टूबर 2025 में शेयर बाजार का क्या आउटलुक है?
A5: अक्टूबर 2025 में शेयर बाजार का आउटलुक सकारात्मक दिख रहा है। निफ्टी का 11,400 के ऊपर बंद होना और VIX में कमी आना तेजी का संकेत है। RBI की स्थिर मौद्रिक नीति और घरेलू निवेशकों का मजबूत समर्थन बाजार को दीर्घकालिक स्थिरता प्रदान कर सकता है। हालांकि, वैश्विक आर्थिक परिस्थितियाँ और भू-राजनीतिक घटनाएँ अभी भी प्रभावशाली कारक बनी रहेंगी, जिन पर निवेशकों को ध्यान देना चाहिए।






