भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘ट्रेड वॉर’ और 50% तक के भारी टैरिफ का खतरा मंडरा रहा है। लेकिन इस वैश्विक चुनौती के बीच, मोदी सरकार ने नवरात्रि से ठीक पहले 22 सितंबर से GST दरों में बड़ी कटौती की घोषणा कर एक बड़ा दांव खेला है। इस कटौती से आम आदमी और मध्यम वर्ग द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली ज्यादातर चीजें सस्ती हो जाएंगी।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या त्योहारी सीजन में घरेलू खपत को बढ़ावा देने वाला यह कदम, ट्रंप के टैरिफ से भारत के निर्यात सेक्टर को होने वाले अरबों डॉलर के नुकसान से बचा पाएगा? आइए विशेषज्ञों की राय में समझते हैं कि इसका GDP ग्रोथ और आपकी जेब पर क्या असर होगा।
ट्रंप का टैरिफ बनाम भारत का GST दांव
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ ने अमेरिका में भारतीय निर्यातों को लगभग गैर-प्रतिस्पर्धी बना दिया है, और अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत के 50% से अधिक निर्यातों पर असर पड़ सकता है, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका है।
इसी पृष्ठभूमि में, GST दरों में कटौती का समय बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया है कि GST कटौती पर काम कई महीनों से चल रहा था, लेकिन यह कदम ऐसे समय में आया है जब निर्यात पर अनिश्चितता के बादल छाए हैं।
क्या GST कटौती से बचेगा देश? एक्सपर्ट्स ने दिया जवाब
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत काफी हद तक एक घरेलू खपत पर आधारित अर्थव्यवस्था है। इसकी GDP में निर्यात का हिस्सा बहुत बड़ा नहीं है। इसलिए ट्रंप के टैरिफ का असर 30 से 90 बेसिस प्वाइंट के बीच रहने का अनुमान है।
- GDP घटने की बजाय बढ़ सकती है: EY इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार, डीके श्रीवास्तव का विश्लेषण सबसे चौंकाने वाला है। उनका कहना है, “अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी के बावजूद, हमें उम्मीद है कि 2025-26 में वास्तविक GDP ग्रोथ मौजूदा 6.5% के अनुमान से बढ़कर 6.7% हो जाएगी।” उनका तर्क है कि GST कटौती से कपड़ा, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों में घरेलू मांग बढ़ेगी, जो निर्यात के नुकसान की भरपाई कर देगी।
- नुकसान की भरपाई संभव: लार्सन एंड टुब्रो के ग्रुप चीफ इकोनॉमिस्ट, सच्चिदानंद शुक्ला के अनुसार, GST कटौती से अल्पावधि में GDP पर 0.4% तक का सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जो टैरिफ के प्रतिकूल प्रभाव को काफी हद तक कम कर देगा। हालांकि, असली फायदा लंबी अवधि में कम महंगाई और बढ़ी हुई आर्थिक गतिविधि के रूप में दिखेगा।
- यह ‘इलाज’ नहीं, बल्कि ‘सहारा’ है: बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का मानना है कि GST सुधारों से कंपनियों की उत्पादन लागत कम होगी, जो उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद करेगा। यह निश्चित रूप से टैरिफ का इलाज नहीं ہے, लेकिन एक महत्वपूर्ण सहारा जरूर है।
सिर्फ GST ही नहीं, अर्थव्यवस्था के लिए ये 4 ‘बूस्टर शॉट’ भी हैं तैयार
GST कटौती इस पहेली का सिर्फ एक टुकड़ा है। भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए पहले से ही कई कदम उठाए जा चुके हैं:
- इनकम टैक्स में कटौती: इस साल की शुरुआत में नए टैक्स रिजीम में की गई भारी कटौती से मध्यम वर्ग की बचत बढ़ी है, जो अंततः खपत में बदल जाएगी।
- कम हुई EMI: RBI द्वारा रेपो रेट में 1% की कटौती से होम और कार लोन की EMI कम हुई है, जिससे लोगों के हाथ में अधिक पैसा बच रहा है।
- आठवां वेतन आयोग: आने वाले महीनों में आठवें वेतन आयोग के लागू होने की उम्मीद है, जिससे लाखों सरकारी कर्मचारियों की आय बढ़ेगी।
- कम महंगाई: खुदरा महंगाई कई वर्षों के निचले स्तर पर है, जो त्योहारी सीजन से पहले एक सकारात्मक संकेत है।
लेकिन सरकारी खजाने का क्या होगा?
GST कटौती से सरकारी खजाने पर लगभग ₹48,000 करोड़ का असर पड़ने का अनुमान है। हालांकि, SBI रिसर्च की एक रिपोर्ट बताती है कि अतीत में जब भी GST दरें घटाई गईं, तो राजस्व में अस्थायी गिरावट के बाद जोरदार वापसी हुई है। टैक्स प्रणाली सरल होने और अनुपालन बढ़ने से टैक्स बेस चौड़ा होता है, जिससे अंततः राजस्व बढ़ता है।
निष्कर्ष: कुल मिलाकर, भले ही ट्रंप का टैरिफ एक गंभीर चुनौती है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था का मजबूत “घरेलू लंगर” इस झटके को सहने के लिए अच्छी तरह से तैयार है। GST कटौती, इनकम टैक्स में छूट और कम ब्याज दरों जैसे कई कदमों का संयुक्त प्रभाव न केवल निर्यात में आई कमी की भरपाई कर सकता है, बल्कि घरेलू मांग को इतना बढ़ा सकता है कि GDP ग्रोथ घटने के बजाय बढ़ जाए।






